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हिंदी कहानियां - भाग 209

चट्टान की आंखें


चट्टान की आंखें “मम्मी, पापा घर कब आएंगे?” किट्टू ने सवाल किया।  मम्मी ने अबकी बार थोड़ा जोर से कहा, “किट्टू कहा ना, इस बार पापा समुद्र में लंबे समय तक रहेंगे।” किट्टू के पापा एक चैनल के लिए समुद्र के अंदर के फोटो खींचने का काम करते थे। किट्टू को जब वह बताते कि उन्होंने समुद्र के अंदर एक बड़ी सी मछली के पेट में हजारों रंग-बिरंगी मछलियों को तैरते देखा है, तो किट्टू की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह जाती थीं। किट्टू का मन था कि एक बार वह भी पापा के साथ समुद्र के अंदर की दुनिया देखने चले। पापा ने कहा था कि जब वह बारह साल का हो जाएगा, तब उसे अपने साथ ले जाएंगे। किट्टू का बारहवां बर्थडे था। पापा घर आए, तो वह उनसे लिपट गया। अगले दिन पापा फिर जाने लगे, तो वह उनके पीछे ही पड़ गया, “आपने प्रॉमिस किया था मुझे साथ लेकर जाएंगे!”  पापा ने समझाया, “किट्टू, इस बार मैं जिस काम से जा रहा हूं, वहां तुम्हें नहीं ले जा सकता। हम लोग ह्वेल मछली की जिंदगी पर फिल्म बनाने जा रहे हैं। ह्वेल बहुत खतरनाक होती है। पिछली बार वह हमारे एक कैमरामैन को निगल गई थी।” “नहीं पापा, मैं तो चलूंगा...!” किट्टू मचलने लगा।  पापा ने कहा, “चलो, जल्दी से तैयार हो जाओ।” किट्टू जोश में तैयार हो गया। पापा उसे स्टुडियो में लेकर गए और एक फिल्म चला दी।  अब टीवी पर पापा दिख रहे थे, पानी के अंदर, हाथ में कैमरा लिए शूटिंग करते हुए। किट्टू खुश हो गया। पापा के चारों तरफ रंग-बिरंगी मछलियां तैर रही थीं। कुछ मछलियों को देखकर ऐसा लगा, जैसे वे पापा के साथ खेल रही हों। किट्टू हंसने लगा। एक तरफ नीले और हरे रंग का एक पौधा था। पापा ने उसे हाथ लगाया, तो एक झटके में हजारों छोटी-छोटी मछलियां उछलकर अंदर से निकलीं और एक झटके में गायब हो गईं। कितना सुंदर था सब कुछ। किट्टू मगन होकर देख ही रहा था कि एक तरफ से एक भयानक सी दिखने वाली एक बड़ी मछली आई। वह पापा का एक हाथ पकड़कर खींचने लगी। पापा दर्द से छटपटाने लगे। एक क्षण को लगा जैसे मछली पापा को खा जाएगी। किट्टू घबराकर रोने लगा। पापा तो उसके पीछे ही खड़े थे। वह हंसते हुए बोले, “किट्टू, यह तो फिल्म है। तुम डर गए?” किट्टू की हालत देखकर पापा ने फिल्म बीच में ही रोक दी।  रात को सपने में भी किट्टू ने यही देखा कि एक बड़ी सी ह्वेल मछली पापा को निगल गई है। नींद खुली, तो वह फिर से रोने लगा। पापा उठ गए। उन्होंने उसे गोद में उठाते हुए कहा, “अरे, तुम तो बिल्कुल डरपोक निकले। मछली अगर तुम पर हमला करने आए, तो हाथ में जो भी है, उससे उसकी आंखों पर वार कर दो। उसकी पूंछ दबा दो। इसके बाद मुड़कर आगे तैरने लगो। बड़ी मछलियां अपना संतुलन खोने के बाद तेजी से भाग नहीं पाती हैं। बस...!” पापा फिर अपने काम पर निकल पड़े। इसके बाद बहुत दिनों तक किट्टू ने पापा से समुद्र के अंदर दिखाने जाने के लिए नहीं कहा।  अगले साल पापा पूरे परिवार के साथ कू्रज से यूरोप घूमने निकले। किट्टू डर गया। घबराहट के मारे उसके पसीने छूटने लगे। पापा ने गाइड से कहा, “किट्टू को बताओ कि समुद्र के अंदर सांस कैसे लेनी है। मैं इसकी फोटो खींचूंगा।” किट्टू ने धीरे से कहा, “पापा, मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही। फिर किसी दिन चलें?” पापा हंसने लगे और उसका हाथ पकड़कर समुद्र के अंदर कूद गए। दो मिनट तक किट्टू ने बंद आंखें नहीं खोलीं। जब खोलीं, तो उसके आगे पानी के अंदर की खूबसूरत दुनिया थी। रंग-बिरंगे शंख और सीप से झांकते प्राणी, कछुए और अजीबोगरीब जीव। पता नहीं कब पापा का हाथ छूट गया और किट्टू खुद तैरने लगा।  पापा उसकी फोटो खींच रहे थे। किट्टू तैरते-तैरते एक चट्टान के पीछे पहुंचा। टेक लगाकर वह मछलियों को उछलते-कूदते देखने लगा। अचानक उसने पाया कि चट्टान खिसकने लगी है। चट्टान की दो आंखें? ओह, यह तो एक बड़ी मछली है। डरके मारे किट्टू चीखने ही वाला था कि उसे पापा की याद आ गई। वह फौरन पलटकर जोर से तैरने लगा और तैरते-तैरते समुद्र के ऊपर आ गया। पापा उसके पीछे-पीछे आए। उन्होंने किट्टू की पीठ थपथपाते हुए कहा, “वेलडन। अब तुम्हें समुद्र के अंदर घूमना आ गया है।”

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